प्रहार करो

प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

खूब सहा है अत्याचार
अब, और न तुम इंतजार करो
काली का तुम रूप धरो
शिव का तांडव रचो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

बेड़ियों को तोड़ दो
मुक्ति का आह्वान करो
पुरातनपंथी ख़्यालों का
आज तुम संहार करो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

कठिन इस कार्य को
आज तुम अंजाम दो
प्रलयंकारी युद्ध करो
फिर एक नया आगाज करो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

Image Credits: Google

© Copyright: Neelesh Maheshwari

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Alvida H Tumko Saathi / अलविदा है तुमको साथी

अलविदा है तुमको साथी
इतना ही था साथ हमारा
अब तुम अपनी राह
हम अपनी राह
यही है भाग्य हमारा।

दर्द भरा है ये लम्हा साथी
आँखे नम हो आयी है
पर इस सत्य को स्वीकारने में ही
हमारी भलाई है।

अब और देर ना करो साथी
प्रस्थान करो अपनी मंजिल को
सफल हो तुम हर कार्य मे
जीत लो इस दुनिया को।

और जब याद हमारी आये साथी
मुस्कान चेहरे पर एक ले आना
छायाओं को मत छूना
आगे अग्रसर हो जाना।

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Kaise Bhulu?

तुम कहते हो
कि याद न करो मुझे,
कि मैं तुमसे अब बहुत दूर हूँ
मिलने अब ना आ पाउँगा।

पर तुम ही बताओ ,
क्या ऐसा मुमकिन है
कि सागर का ना हो साहिल से मिलन ,
और अपने प्रेमी की याद में,
न जले प्रियसी का मन।

माना , बड़े आदमी हो तुम
और बड़ी – बड़ी है तुम्हारी बातें।
माना , तुम बहुत दूर हो ,
कि मिलने भी ना आ पाओगे।

पर कैसे भूलु तुम्हारी यादों को
कि तुम्हे मिटाने की कोशिश में
मैं खुद ही मिटती जाती हूँ।
जीवन के सब रंग देखे तुम्हारे साथ ,
तुम्हारे बिना रंग विहीन हुई जाती हूँ।
बस, तुम्हारा साथ चाहती हूँ।
बस, तुम्हारा साथ चाहती हूँ।

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Sangharsh (Part 1)

ऊँचे ऊँचे पहाड़ो के बीच
खड़ी हूँ मैं अकेली
चारों ओर सन्नाटा इस कदर
नाज़ाने क्यों, आज फ़िज़ा भी खामोश है।

पर मेरे अंदर ,
शांति का नामो – निशान नहीं।
अंगारे अभी भी सुलग रहे हैं ,
उसी पुरानी आग के।

समाज से दूर
बेड़ियों में अभी भी जकड़ी हूँ।
लड़ाई अब भी जारी है
मुक्ति के अहसास के लिए ।

हार या जीत के
मायने अब समाप्त है।
इस संघर्ष में ही
अब मेरा जीवन व्याप्त है।

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Yaad Tumhari Aati H

तुम कह रहे थे विदाई की उस बेला में
की लौट कर आओगे तुम मिलने मुझसे दोबारा
पर तुम गए क्या , तुम तो ईद का चाँद हो गए।

ना तुम्हारी खबर , ना ही कोई संदेश
दूर सरहद के उस पार जाकर
लगता है, तुम गैर हो गए।

याद जब जब तुम्हे करता हूँ
आँखे भर आती है।
और ज़ोर से जब हवा का झोंका आता है
रूह मेरी काँप जाती है।
भीनी भीनी उस खुशबू में
कोई कसक रह जाती है।
गैरियत तुम्हारी सताती है
बस, याद तुम्हारी आती है।

#Yaadein #Memories #vidai

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Aazadi

किसी पिंजरे में कैद था जो
आज आजाद है वो
हाँ, अब आजाद है वो।

तैयार है वो भरने को उड़ान
चोटिल पंख, पर है दिल में अरमान
लहू से रंगने को जमीन और आसमान
आज बेक़रार है वो।
हाँ, अब आजाद है वो।

#Aazadi

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© Neelesh Maheshwari

Pathik

जीवन पथ पर
इस कठिन डगर पर
कांटो भरी राहो से
गुजरना जरुरी है
हे पथिक ! तेरे लहू और इस धरा का पवित्र संगम जरुरी है।

साज़िशों के जाल है
तेरे कदमो की ताल से
कइयों के हाल बेहाल है
कश्तियाँ ना मिले, ना सही
डोंगियों के सहारे ही
वैतरणी पार करना जरुरी है
हे पथिक ! तेरे लहू और इस धरा का पवित्र संगम जरुरी है।

वार हज़ारो सहने है
कर्म करते जाना है
जब बुझने लगे लौ
तब नव ज्योति प्रजवल्लन जरुरी है
हे पथिक ! तेरे लहू और इस धरा का पवित्र संगम जरुरी है।

© Neelesh Maheshwari

Sangharsh Jari H

संघर्ष जारी है
कदम कदम बढाकर
चलना जारी है।

ठोकरें हर दर पर ,
इस डगर मुश्किल पर ,
पर दूर उस चौखट पर ,
आशा कि एक किरण अभी बाकि है
संघर्ष जारी है ….

हर एक देहरी पर,
अलख जगाने जाना है
नव अंकुर सृजन के लिए ,
अपनी देह को जलाना है
अभी पूर्ण आहुति नहीं है ,
चाहे मेघ कितने ही बरसे ,
जलते जाना है
संघर्ष को बढ़ाना है
बस चलते जाना है।

#Sangharsh #StriveforSuccess #Struggle

– © Neelesh Maheshwari