प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।
खूब सहा है अत्याचार
अब, और न तुम इंतजार करो
काली का तुम रूप धरो
शिव का तांडव रचो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।
बेड़ियों को तोड़ दो
मुक्ति का आह्वान करो
पुरातनपंथी ख़्यालों का
आज तुम संहार करो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।
कठिन इस कार्य को
आज तुम अंजाम दो
प्रलयंकारी युद्ध करो
फिर एक नया आगाज करो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।
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© Copyright: Neelesh Maheshwari