( 1 )
सन्नाटा पसरा है हर तरफ
इस अँधेरी रात में ।
चाँद भी ज़रा सहमा सा
कहीं छुप गया है।
तारो की चादर भी
हुई छिन्न भिन्न सी है
शायद उन्हें भी अंदेशा है
आने वाले तूफान का।
( 2 )
सब कुछ खत्म हो गया है,
अब बची नहीं कोई उम्मीद,
हर तरफ विलाप ही विलाप,
सन्नाटा टूट चुका है।
हमारा प्यारा आशियाना,
उजड़ चुका है।
इस गमगीन घडी में
आंसू बहा रहा है
आसमान भी।
© Copyrights : Neelesh Maheshwari
Thats beautifully penned!
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Thanks…
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😇
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