अधूरे खत

(१)
वो अधूरे खत,
जो शुरू होते हैं,
तुम्हारे नाम से,
आज भी रखे हैं,
मैंने सहेजकर ,
इस उम्मीद में ,
कि शायद उन्हें,
पूरा कर पाऊँ,
एक दिन , और
भेज दूँ , तुम्हे
तुम्हारे पते पर।
और उतार दूँ ,
इस बोझ को ,
अपने सीने से ,
मरने से पहले।

(२)
पर ये कम्बख्त,
कलम की स्याही,
सूख गयी है ,
इन्तजार करते करते।
पर भावनाएं ज़िंदा
हैं अब तक ,
और ले रही है हिलोरे
इस अंतिम घडी में।
सोचता हूँ कि
भेज दूँ मैं
इस अधूरे खत को ही।
शायद, तुम्हारे हाथो को छू
ये पूरा हो जाए।

(३)
आज जवाबी खत ,
आया है मेरी
दहलीज पर।
पर , नाजाने क्यों ,
इसमें वो खुशबु नहीं,
जो है मेरी जानी पहचानी।
एक आभास है,
जैसे घटित हुआ है,
कुछ अनिष्ट ,
इस पल में।

(४)
और अब रख दिया है ,
बिना पढ़े इस खत को,
उसी दराज में ,
जहाँ रखे है ,
मेरे अधूरे खत।
शायद , ये खत
भी अधूरा था ,
जो हो गया है पूरा
मेरे छूने से।
अब मै भी ,
मर सकता हूँ ,
चैन से।

Image Credits : Google

Copyrights © Neelesh Maheshwari ( andaazekalam)

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मिलन

धीमे धीमे सिमट रहा हूँ
तुम्हारी बाहों में।
मिटाकर अपनी शख्सियत
इस मदहोश रात में।

छन छन के आ रही है
चांदनी बादलो से।
और छू रही है
तुम्हारे बदन को, करीने से।

अब सिर्फ एकात्म है।
टूट गयी है सारी परतें।
कोई सीमा नहीं है
अस्तित्व की।

Coprights: Neelesh Maheshwari

Patience

We must note that change happens in society slowly and gradually. We can’t expect things to change overnight. Howsoever enticing the idea of revolution may sound, in reality, it often brings with itself chaos, disorder, and instability. Being a pragmatist, I judge an idea solely on the basis of its actual performance on the ground and not by what it offers in theory.

Look at all the big changes in society. Whether the transition from selective franchise to universal adult suffrage happened in a day? No, it was the result of prolonged struggle of people of various generations.

That is why we must have patience.  We must not lose hope as we can’t see the big change. We must keep looking for small signs of hope.

The same is true for the struggle against patriarchy. It is a long struggle as the roots of patriarchy are very deep. We must know three things if we need to continue our struggle against all odds:

  1. What are we fighting against?
  2. What are we fighting for?
  3. How to fight?

And above all, we need patience. Because we may not see the end result in our lifetime. But, it is our duty to take the struggle forward and so is the duty of next generation.

In my next blog, I will try to deal with above-mentioned questions.

सब्र रख साथी ,
ना मान तू हार।
धीरे – धीरे समाज में,
आ रहा है बदलाव।

चाहे कितना ही लुभावना लगे ,
क्रांति का विचार ,
पर अपने साथ लाता है ये।
अस्थिरता और भूचाल।

कोई भी बदलाव देखो
तुम उठाकर इतिहास ,
आया है वो शनै शनै ,
दशकों के संघर्ष के बाद।

सब्र रख साथी ,
ना मान तू हार।

© Copyrights: Neelesh Maheshwari

सन्नाटा

( 1 )

सन्नाटा पसरा है हर तरफ
इस अँधेरी रात में ।
चाँद भी ज़रा सहमा सा
कहीं छुप गया है।

तारो की चादर भी
हुई छिन्न भिन्न सी है
शायद उन्हें भी अंदेशा है
आने वाले तूफान का।

( 2 )

सब कुछ खत्म हो गया है,
अब बची नहीं कोई उम्मीद,
हर तरफ विलाप ही विलाप,
सन्नाटा टूट चुका  है।
हमारा प्यारा आशियाना,
उजड़ चुका है।

इस गमगीन घडी में
आंसू बहा रहा है
आसमान भी।

© Copyrights : Neelesh Maheshwari

चंद लम्हे ही है शेष

चंद लम्हे ही है शेष
अब तुम्हारे जाने में।

जी करता है,
थाम लूँ तुम्हारा हाथ,
और रोक दूँ समय को,
पर , अपने आप को असमर्थ पाता हूँ।
कुछ कहने को होता हूँ ,
पर , बीच में ही रूक जाता हूँ।

जानता हूँ भली – भांति
कि यही वक़्त का तकाजा है।
फिर भी, नाजाने क्यों
नए नए बहाने ढूंढ लाता हूँ।

तुमसे जुदाई की,
कल्पना भी नहीं कर पता हूँ।

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© Copyrights : Neelesh Maheshwari

प्रहार करो

प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

खूब सहा है अत्याचार
अब, और न तुम इंतजार करो
काली का तुम रूप धरो
शिव का तांडव रचो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

बेड़ियों को तोड़ दो
मुक्ति का आह्वान करो
पुरातनपंथी ख़्यालों का
आज तुम संहार करो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

कठिन इस कार्य को
आज तुम अंजाम दो
प्रलयंकारी युद्ध करो
फिर एक नया आगाज करो।
प्रहार करो, प्रहार करो
पितृसत्ता की जड़ो पर
आज तुम आघात करो।

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Alvida H Tumko Saathi / अलविदा है तुमको साथी

अलविदा है तुमको साथी
इतना ही था साथ हमारा
अब तुम अपनी राह
हम अपनी राह
यही है भाग्य हमारा।

दर्द भरा है ये लम्हा साथी
आँखे नम हो आयी है
पर इस सत्य को स्वीकारने में ही
हमारी भलाई है।

अब और देर ना करो साथी
प्रस्थान करो अपनी मंजिल को
सफल हो तुम हर कार्य मे
जीत लो इस दुनिया को।

और जब याद हमारी आये साथी
मुस्कान चेहरे पर एक ले आना
छायाओं को मत छूना
आगे अग्रसर हो जाना।

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Kaise Bhulu?

तुम कहते हो
कि याद न करो मुझे,
कि मैं तुमसे अब बहुत दूर हूँ
मिलने अब ना आ पाउँगा।

पर तुम ही बताओ ,
क्या ऐसा मुमकिन है
कि सागर का ना हो साहिल से मिलन ,
और अपने प्रेमी की याद में,
न जले प्रियसी का मन।

माना , बड़े आदमी हो तुम
और बड़ी – बड़ी है तुम्हारी बातें।
माना , तुम बहुत दूर हो ,
कि मिलने भी ना आ पाओगे।

पर कैसे भूलु तुम्हारी यादों को
कि तुम्हे मिटाने की कोशिश में
मैं खुद ही मिटती जाती हूँ।
जीवन के सब रंग देखे तुम्हारे साथ ,
तुम्हारे बिना रंग विहीन हुई जाती हूँ।
बस, तुम्हारा साथ चाहती हूँ।
बस, तुम्हारा साथ चाहती हूँ।

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Sangharsh (Part 1)

ऊँचे ऊँचे पहाड़ो के बीच
खड़ी हूँ मैं अकेली
चारों ओर सन्नाटा इस कदर
नाज़ाने क्यों, आज फ़िज़ा भी खामोश है।

पर मेरे अंदर ,
शांति का नामो – निशान नहीं।
अंगारे अभी भी सुलग रहे हैं ,
उसी पुरानी आग के।

समाज से दूर
बेड़ियों में अभी भी जकड़ी हूँ।
लड़ाई अब भी जारी है
मुक्ति के अहसास के लिए ।

हार या जीत के
मायने अब समाप्त है।
इस संघर्ष में ही
अब मेरा जीवन व्याप्त है।

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Yaad Tumhari Aati H

तुम कह रहे थे विदाई की उस बेला में
की लौट कर आओगे तुम मिलने मुझसे दोबारा
पर तुम गए क्या , तुम तो ईद का चाँद हो गए।

ना तुम्हारी खबर , ना ही कोई संदेश
दूर सरहद के उस पार जाकर
लगता है, तुम गैर हो गए।

याद जब जब तुम्हे करता हूँ
आँखे भर आती है।
और ज़ोर से जब हवा का झोंका आता है
रूह मेरी काँप जाती है।
भीनी भीनी उस खुशबू में
कोई कसक रह जाती है।
गैरियत तुम्हारी सताती है
बस, याद तुम्हारी आती है।

#Yaadein #Memories #vidai

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