होली का त्यौहार आया है।
आप सभी को ढेर सारी बधाई।
हर जगह होली पर कविताये है।
बधाई के सन्देश है।
सभी बहुत सुन्दर।
एक बार लगा की ये पोस्ट नहीं करूँ।
आखिर , महफ़िल जमी हुई है।
क्यों रंग में भंग डाला जाये।
पर, फिर अपने को रोक नहीं पाया।
ट्रेवल ब्लोग्स पढ़ने का शौक है।
अभी पिछले साल एक video ब्लॉग होली के बाद पढ़ा। Link
जिसमे ब्लॉगर , जो कि एक विदेशी लड़की थी, ने अपने साथ इस पावन पर्व पर हुए दुर्व्यवहार की वीडियो शेयर की थी।
अब इस साल दिल्ली में सीमेन से भरे गुब्बारे फेंके जा रहे है।
खैर, मुझे ज्यादा उदहारण देने की जरुरत नहीं है।
होली के दिन घर से बाहर निकलना कितना सुरक्षित है ,
ये आप सब जानते ही है।
इस दिन तो जैसे लाइसेंस ही मिल जाता है दुर्व्यवहार का ,
क्योंकि बुरा न मानो , होली है।
ठीक वैसे ही , जैसे शादी के बाद लाइसेंस मिल जाता है
बिना consent शारीरिक सम्बन्ध बनाने का। Link ( Section 375 exception clause)
क्योंकि , शादी एक पवित्र बंधन है।
Marital rape तो केवल एक काल्पनिक शब्द है !
ऐसा कुछ होता ही नहीं है।
खैर, इस मुद्दे को बाद में अलग से discuss करेंगे।
होली पर कविता मैंने भी लिखी थी।
पर, अब शेयर करने का मन नहीं है।
खैर, चार लाइन्स है.
बचपन से ही सिखाया है मुझे
– गलती मेरी है।
कोई घूरे , कोई टच करे
कोई पीछे आये , कोई अश्लील कमेंट करे।
सब गलती मेरी है।
अरे ! लड़के तो घूरेंगे ही
कपडे देखे है इसके।
देर शाम बाहर निकलोगी ,
लड़के तो छेड़ेंगे ही न।
अरे ! अगर इतना हंसोगी ,
तो लड़के तो पीछे आएंगे ही।
आखिर , लड़की हंसी , तो फँसी।
Anyways, बात कुछ भी हो ,
गलती तो मेरी ही है ना।
Simple सा लॉजिक है
अरे भाई ! लड़की हूँ एक पितृसत्तात्मक समाज में।
इससे बड़ी गलती और क्या होगी।
I accept, गलती मेरी है।
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© Copyrights: Neelesh Maheshwari